मतदाता जागरूकता
सन् 1950 का दशक था, जब भारत को अंग्रेजों के कैद से छुटकारा मिला तथा देश में प्रजातांत्रिक व्यवस्था के तहत संप्रभुता के साथ शाशन का सौभाग्य मिला। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में मतदान का एक अपना तरीक़ा ईजाद हुआ।
सन् 1960 से 1980 के दशक तक देश में अशिक्षा के कारण लोगों को मतदान के प्रति जागरूकता नहीं थी। मतदान का प्रतिशत उक्त अवधी में कम हुआ करता था। ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान केंद्र भी दूरी पर अवस्थित होते थे ।मतदाता को जागरूक करने का सीमित साधन चलचित्र था ।
ज्यों ज्यों साधन का विकास हुआ, शिक्षा का विकास हुआ । भारत के निर्वाचन आयोग का ध्यान मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की ओर हुआ तब मतदाता को जागरूक करने का कार्यक्रम चलाया जाने लगा । मतदाता जागरूकता कार्यक्रम मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने हेतु जागरूक करने का नया तकनीक अपनाया जाने लगा ।
देश में प्रजातंत्र व्यवस्था लागू होने के बाद भी अशिक्षा के कारण मतदाता, मताधिकार का प्रयोग करने हेतु जागरूक नहीं थे ।
विगत लगभग पच्चीस वर्षों से मतदाताओं को जागरूक करने का कार्य निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाने लगा, चुकी मतदाता के प्रतिशत में इजाफा हो ।
18 वर्षों से ऊपर के नवयुवकों एवं नवयुवतियों का पंजीकरण कार्य करा जागरूकता पैदा किया जाना, निर्वाचन आयोग का सही कदम है।
प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्चशिक्षा संस्थानों द्वारा भाषण, प्रतियोगिता के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलायी जाए।
प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों द्वारा गाँव-गाँव में मतदाता जागरूकता हेतु नारे लगाए जाने चाहिए।
गाँवो में शिक्षित लोगों का समूह बनाकर जत्था में नाटक, गीत आदि का कार्यक्रम आयोजन कर मतदाताओं को जागरूक बनाया जाए।
इन दिनों ग़रीबों, अशिक्षितों के बीच मताधिकार के प्रति पूर्ण जागरूकता होने के पश्चात् भी उनके द्वारा सही तरीके से मतदान नहीं किया जाता है ।
आज चुनाव (मतदान) कार्य में ई०वी०एम का प्रयोग किया जा रहा है, सरकार द्वारा काम खर्च में चुनावकार्य संपन्न कराने का उपाय ढूँढा जा रहा है, परन्तु मत का प्रतिशत किस प्रकार बढ़े, उसके सम्बंध में कोई चिंता का विषय नहीं हैं। चुकी गाँव में अशिक्षितों के बीच उस ई०वी०एम मशीन की जानकारी नहीं होती है, जिस से सारा जागरूकता कार्यक्रम नकारा साबित होता है।
मतदाता जागरूकता हेतु ई०वी०एम की नयी तकनीकों को गाँव में टोले में जाकर व्यावहारिक जानकारी देने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि मतदाता जागरूकता का कार्यक्रम सफल हो सके ।
गाँव में जगह जगह होर्डिंग लगाए जाए, दूरदर्शन के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलाई जाए ।
गाँव में सुबह या शाम का समय मतदाताओं को जागरूक करने का होना चाहिए ताकि शाम में मज़दूर वर्ग के मतदाताओं को अच्छे से जागरूक किया जा सके।
गाँवो में स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से महिला एवं बुजुर्ग मतदाताओं को जागरूक कराना चाहिए, जिससे मतदान के प्रतिशत में इज़ाफ़ा हो ।